हाल ही में बोस इंस्टीट्यूट, कोलकाता और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर के प्रमुख वैज्ञानिकों द्वारा संयुक्त रूप से एक अध्ययन किया गया जिसके अनुसार वायु प्रदूषण सुंदरबन के Mangrove Ecosystem लिये एक बहुत बड़ा संकट बन रहा है।
वैज्ञानिकों द्वारा किया गये अध्ययन का शीर्षक है “Acidity and oxidative potential of atmospheric aerosols ov remote mangrove ecosystem during the advection of anthropogenic plumes”
शोध से पता चला कि भारी मात्रा में प्रदूषक, मुख्य रूप से काले कार्बन या कालिख के कणों से युक्त, न केवल कोलकाता शहर बल्कि पूरे भारत-गंगा के मैदानी क्षेत्र से प्रवेश कर रहे हैं, जिससे सुंदरबन की वायु गुणवत्ता गंभीर रूप से खराब हो रही है और mangroves ecosystem को नुकसान पहुंच रहा है।
अध्ययन के लेखकों ने सुंदरबन की वायु गुणवत्ता में सुधार और Ecosystem की गिरावट को रोकने के लिए दस सूत्री सिफारिशें प्रस्तावित कीं।
सिफारिशों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना, पवन ऊर्जा का उपयोग करना, विद्युत परिवहन का उपयोग करना, एलपीजी पर सब्सिडी देना, पर्यटन को विनियमित करना, डीजल जनरेटर, विषाक्त शिपमेंट पर प्रतिबंध लगाना, प्रदूषण फैलाने वाले कारखानों को बंद करना, ईंट भट्टों और भूमि उपयोग को विनियमित करना और तटीय नियमों को मजबूत करना शामिल है।
सुंदरबन क्या है?
सुंदरबन पश्चिम बंगाल (India) और बांग्लादेश के सीमा पर स्थित दुनिया के सबसे बड़े mangrove वनों घर है। जो बंगाल की खाड़ी पर गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों के डेल्टा तक फैला हुआ है। भारत में स्थित बंगाल के खाडी में हुगली नदी के मुहाने से बांग्लादेश मे मेघना नदी के मुहाने तक 260 किमी तक फैला हुआ सुंदरबन एक बड़ा जंगली एवं लवणीय दलदली क्षेत्र है। अनुमानित रूप से यह जंगल भारत और बांग्लादेश मिलाकर 1,80,000 वर्ग किमी तक फैला हुआ है। जिसमे से 40% हिस्सा भारत में है।
सुंदरबन को 1973 मे Sundarban Tiger Reserve घोषित किया गया था, और 1977 मे वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया। फिर 4 मई 1984 को इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। इस उद्यान का वर्ष 1987 मे UNESCO ने World Heritage Site में शामिल किया है। सुंदरबन भारत के 14 बायोस्फीयर रिजर्व में से एक बाघ संरक्षित क्षेत्र है और और 1989 में सुंदरबन इलाके को बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया था।
वनस्पति और जीव
सुंदरबन अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है, विशेषतः यहा दुनिया का सबसे बड़ा Mangroves Ecosystem ka तंत्र है, जिसे स्थानिय भाषा में ‘सुंदरी’ के नाम से जाना जाता है। यह Mangrove forest लगबध 20400 वर्ग किमी इलाके में फैला हुआ है। सुंदरबन डेल्टा कई वनस्पतियों और वन्य प्रजातियों का घर है। सुंदरबन में लगबघ 260 से अधिक प्रजातियों के पक्षी वनस्पती और वन्यजीव पाए जाते है । सुंदरबन में पाये जाने वाले बंगाल टायगर की प्रजाती प्रमुख आर्कषण है। साथ ही भारतीय अजगर, घडियाल जैसे खतरनाक प्रजातीया साथ ही एस्टुरीन मगरमच्छ, वाटर मॉनिटर छिपकली, गंगा डॉल्फिन और ऑलिव रिडली कछुए जैसे समुद्री जीव शामिल हैं, जिनमें से कई दुर्लभ हैं और विश्व स्तर पर खतरे में हैं।
सुरक्षा प्रयास
भारत में सुंदरबन वेटलैंड को जनवरी 2019 में Ramsar Convention के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड के रूप में नामित किया गया था। यह क्षेत्र Project Tiger का भी हिस्सा है, जिसका उद्देश्य रॉयल बंगाल टाइगर्स की रक्षा करना है, जो पारिस्थितिकी (Ecosystem) तंत्र के संतुलन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। 2011 में भारत और बांग्लादेश के बीच सुंदरवन के संरक्षण पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।
सुंदरबन द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियाँ
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बढ़ता हुआ समुद्र का स्तर।
जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के बढ़ते स्तर से निचले Mangrove के जलमग्न होने का खतरा है, जिससे उनका संतुलन बिगड़ रहा है और चक्रवातों के दौरान तूफान के प्रति संवेदनशीलता बढ़ रही है।
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चक्रवातों की तीव्रता में हो रही वृद्धि।
जलवायु परिवर्तन से बढ़े हुए चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता के कारण , Mangrove को नुकसान पहुंच रहा है। जिससे उनके अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण तलछट पैटर्न प्रभावित हो रहे हैं।
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कृषि विस्तार।
कृषि के लिए Mangrove वनों को काट कर, नकदी फसलें जैसे Palm Oil और चावल जैसे खाद्य उत्पादन के लिए इन जंगलो का रूपांतरण, उनके आवास को नष्ट कर रहा है, जिससे पारिस्थितिक तंत्र खंडित होने से जैव विविधता को प्रभावित हो रही है।
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पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का नुकसान।
Mangrove तटरेखा को cyclone से संरक्षण करते हैं, साथ ही मछलीयों के लिए सुरक्षीत मैदान प्रदान करते है। वनों की कटाई से ये सेवाएँ बाधित होती हैं, जिससे तटीय समुदायों और मत्स्य पालन पर प्रतिकूल प्रभाव देखा जा रहा है।
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वन्यजीवों को ख़तरा।
जलवायु परिवर्तन और Mangroves की हो रहे नुकसान के कारण लुप्तप्राय श्रेणियों की प्रजातियों गिरावट आ रही है। इस क्षेत्र मे हो रहे प्रदूषित निर्वहन के वजह से प्रजनन गतिविधियों मे बाधा आ रही है जिससे विविध मोलस्क और क्रस्टेशियंस को और अधिक क्षती पहुंच रही है।
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प्रदूषकों का प्रभाव।
शहरी क्षेत्रों और सिंधु-गंगा के मैदान से काले कार्बन और कालिख के कणों सहित वायु प्रदूषण से, सुंदरबन की पारिस्थितिकी और जैव-भू-रसायन विज्ञान पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड रहा है।
सुंदरबन को बचाने के लिए क्या रास्ते अपनाये जा सकते हैं?
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स्ट्रीमबैंक को सुरक्षित रखना
Vetiver जैसी विदेशी, गैर-नमक-सहिष्णु प्रजातियों का उपयोग करने के बजाय, स्ट्रीमबैंक को मजबूत करने और कटाव को रोकने के लिए जंगली चावल, मायरियोस्टैच्या वाइटियाना, बिस्किट घास और नमक काउच घास सहित देशी घास प्रजातियों उगाने के लिए बढ़ावा देना।
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जैविक कृषि को बढ़ावा देना
किसानों की आय और उत्पादकता में सुधार के अलावा, मिट्टी-सहिष्णु धान की किस्मों और जैविक खेती के तरीकों को बढ़ावा देने से पर्यावरण पर उनके नकारात्मक प्रभाव को भी कम किया जा सकता है। वर्षा जल संचयन और वाटरशेड सुधार परियोजनाओं को अमल में लाने से कृषि उत्पादकता में और वृद्धि होगी।
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वेस्टवाटर का उपचार
प्राकृतिक प्रक्रियाओं और सूक्ष्मजीवों, जैसे लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया और प्रकाश संश्लेषक बैक्टीरिया, को अपशिष्ट जल उपचार, पानी की गुणवत्ता और पारिस्थितिकी तंत्र स्वास्थ्य का सुधार करने के लिए नियोजित किया जा सकता है।
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भारत-बांग्लादेश सहयोग
सुंदरबन और उन पर निर्भर समुदायों के लिए जलवायु योजनाओं को विकसित करने और क्रियान्वित करने के लिए भारत-बांग्लादेश संयुक्त कार्य समूह (JWG) की जगह एक मजबूत बहु-विषयक विशेषज्ञ बोर्ड को लेना चाहिए।
सौर ऊर्जा, विद्युत परिवहन, सब्सिडीयुक्त एलपीजी, विनियमित पर्यटन को बढ़ावा देना, प्रदूषक कारखानों को बंद करना, ईंट भट्टों और भूमि उपयोग को विनियमित करना और तटीय नियमों को मजबूत करना जैसे उपायों को लागू करना आवश्यक है।
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बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण
सुंदरबन के समग्र संरक्षण के लिए पर्यटन, आपदा प्रबंधन, कृषि, मत्स्य पालन और ग्रामीण विकास मंत्रालयों को शामिल करने वाला एक बहुस्तरीय, बहुआयामी दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है।
ठोस प्रयासों के माध्यम से इन मुद्दों से निपटकर, Mangrove को भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सकता है, जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक आवश्यक बाधा और कई प्रजातियों के लिए आश्रय के रूप में कार्य करता रहेगा।