RBI सरकार को रिकॉर्ड 2.11 लाख करोड surplus Transfer करेगा।

Record surplus Transfer :भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये के अभूतपूर्व Surplus Transfer को मंजूरी दे दी है। यह राशि 2022-23 में Transfer किए गए 87,416 करोड़ रुपये और 2021-22 में 30,307 करोड़ रुपये से काफी अधिक है, जो राष्ट्रीय खजाने में केंद्रीय बैंक के वित्तीय भुगतान में एक नया  Record स्थापित हुआ है। Surplusकी घोषणा RBI के सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की 608वीं मीटिंग में की गई। ये मीटिंग 22 मई को मुंबई में गवर्नर शक्तिकांत दास की चेयरमैनशिप में की गई थी।

 

बाजार मे surplus को लेके क्या उम्मीद्दे थी और राजकोष पे इसका क्या असर होगा ?

मंजुर Surplus बाजार की अपेक्षाओं से कहीं अधिक है, जिसका अनुमान 1 लाख करोड़ रुपये से 1.1 लाख करोड़ रुपये के बीच लगाया जा रहा था। यह पर्याप्त वृद्धि Fiscal pressure को कम करने के लिए मदत करेगा। जिससे संभावित रूप से वित्त वर्ष 2025 के लिए fiscal deficit सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP का लगभग 0.2% कम हो जाएगा। सरकार का लक्ष्य fiscal deficit को वित्त वर्ष 2024 में GDP के 5.8% से घटाकर वित्त वर्ष 2025 में 5.1% करना है, और यह surplus transfer उस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

surplus का निर्धारण कैसे होता है?s

urplus का कॅल्क्युलेशन बिमल जालान समिति द्वारा स्थापित Economic Capital Framework (ECF) के आधार पर होता है, जो आरबीआई को अपनी बैलेंस शीट के 5.5% से 6.5% के भीतर Contingent Risk Buffer (CRB) बनाए रखने की सलाह देती है यह सरकार की वित्तीय जरूरतों को पुरा करते हुए केंद्रीय बैंक की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करता है। Surplus, मुख्य रूप से आरबीआई को सीआरबी और अन्य चालू आपरेशनल लागतों में कटौती के बाद होने वाले लाभ को कहा जाता है, जिसे सरकारी खजाने में हस्तांतरित किया जाता है।

Surplus वृद्धि में योगदान देने वाले घटक।

 

कई कारकों ने इस उल्लेखनीय surplus को प्रेरित किया है। मार्च 2024 तक आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign exchange reserve) 646 बिलियन डॉलर था, जिसमें 409 बिलियन डॉलर टॉप-रेटेड sovereign securities में निवेश किया गया था। FY23 (USD 213 बिलियन) के मुकाबले FY24 में ग्रॉस डॉलर सेल्स में काफी कम हुई (USD 153 बिलियन) और विदेशी मुद्रा संपत्ति मैनेजमेंट से निरंतर उच्च राजस्व ने Surplus को काफी बढ़ावा दिया। इसके अतिरिक्त, Variable Repo Rate (VRR) नीलामी में बढ़ती भागीदारी, घरेलू और विदेशी दोनों securities पर उच्च ब्याज दरें, और विदेशी मुद्रा निधि के पुनर्मूल्यांकन से लाभ ने आरबीआई की बढ़ी हुई कमाई में योगदान दिया।

RBI की कमाई कहा से होती है? और खर्च कहा होता है?

रबीआई की आय मुख्य रूप से 

Interest on government securities

Open market operations (OMOs)

Foreign exchange operations

Interest on loans and advances

Liquidity Adjustment Facility (LAF) operations.

और खर्च

Operating expenses

Interest paid on deposits and borrowings

Currency issue expenses

Provisioning for contingencies and reserves

 

बिमल जालान समिति की सिफारिशें:

2018 में स्थापित बिमल जालान समिति ने सिफारिश की कि आरबीआई बाजार, ऋण और परिचालन जोखिमों के खिलाफ बफर करने के लिए अपनी बैलेंस शीट के 5.5% से 6.5% के भीतर CRB बनाए रखे। समिति ने सरकार को Surplus Transfer की सुविधा प्रदान करते हुए वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए आरबीआई की आर्थिक पूंजी को इक्विटी और पुनर्मूल्यांकन बैलेंस में अलग करने का प्रस्ताव दिया। समिति ने इसकी निरंतर प्रासंगिकता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए हर पांच साल में ईसीएफ की आवधिक समीक्षा की भी सलाह दी।

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