Organic Farming : 2023 में किसान जैविक खेती और प्राकृतिक खेती का मंत्र क्यों अपना रहे हैं?

Organic Farming आज की जरूरत;

भारत सदियों से कृषि प्रधान देश रहा है। भारत में ज्यादातर लोग अपनी उपजीविका कृषि से या कृषिसे सलग्न व्यापर से करते है। भारत ने कृषि के तरीको और उत्पाद बढाने में कही उचांई हासिल कर ली है। हमने पिछले कुछ दशक में रासायनिक खाद, किटकनाशक, और अन्य उत्पादक सामग्री का इस्तेमालसे उत्पाद को कही स्तर तक बढ़ाया है। लेकिन यह सब पिछले कुछ दशक पहले की कहानी है।
बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ भोजन आपूर्ति की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। विश्व में बढ़ रही ग्लोबल वार्मिंग की वजह से आज मौसम की परिस्थितिया भी खेती और फसलों के लिए अनुकूल नहीं है, जिससे पहले की तरह किसानो की फसल उत्पादन मे काफी कमी आगयी है। उत्पादन बढाने के लिए किसान रासायनिक खाद का भरी उपयोग कर रहे है। इसका परिणाम मिट्टी की गुणवत्ता हलकी हो रही है, उत्पादन स्तर घट रहा है, जहरीली किटकनाशक के इस्तेमाल से वातवरन, पानी दूषित हो रहा है फलतः कृषि उपयोगी जैव विविधता नष्ट हो रही है। इन सारी समस्या को हल करने हमें पारम्परिक और Organic Farming की और बढ़ने और कम से कम रासायनिक खाद का इस्तेमाल करके पुनः उत्पादन क्षमता को बढ़ाने की और कदम उठाने की समय की मांग है।

Organic Farming

What Is Organic Farming ? जैविक खेती क्या है ?

Organic Farming नाम हम बहोत जगह सुनते है और हम हर रोज सोशल मीडिया पे भी देख रहे है की कोई किसान इतना उत्पादन आर्गेनिक फार्मिंग से ले रहा है। हम आज इस पोस्ट से जैविक खेती के बारे में विस्तार से जानेंगे। आसान भाषा में कहे तोह जैविक खेती (Organic Farming), बिना किसी या कम से कम रासायनिक खाद, किटकनाशक , सिंथेटिक उत्पादन सामग्री के इस्तेमाल से, खेती से उत्पन्न होने वाले चीजों का इस्तेमाल जैसे जैविक कचरा, पशु खाद जैसे कपोस्ट, वर्मी कपोस्ट ई, फसलों का नियमित रोटेशन ,पोषक तत्व फसलों के जड़ों तक जुटाने की जैविक प्रणाली जैसे पारम्परिक पद्धति का इस्तेमाल कर के की जाने वाली खेती।

History Of Organic Farming? जैविक खेती का क्या इतिहास है ?

आज विश्व में 120 देशों में व्यावसायिक रूप से जैविक कृषि की जाती है, जिसमे ओशिनिया,लैटिन अमेरिका और यूरोप जैसे विक्सित देशो में जैविक खेती की जाती है। दुनिया का सबसे ज्यादा जैविक खेती क्षेत्र ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना
और इटली इन तीन देशो में है।

लेकिन क्या आप जानते है जैविक खेती की शुरवात भारत में हुई है। 1905 से 1924 के काल में ब्रिटिश वनस्पतिशास्त्री सर अल्बर्ट हावर्ड, जिन्हें अक्सर आधुनिक जैविक कृषि का जनक कहा जाता है। उन्होंने पूसा, बंगाल (अब बिहार में) में एक कृषि सलाहकार के रूप में काम किया, जहां उन्होंने भारतीय पारंपरिक खेती के तरीके का आभास किया और दस्तावेजों में लेख लिखे। और भारतीय पारम्परिक पद्धति को अपने पारंपरिक कृषि विज्ञान से बेहतर मानने लगे।

1939 में सर अल्बर्ट हावर्ड के काम से प्रेरणा लेकर लॉर्ड नॉर्थबॉर्न ने पहली बार आर्गेनिक फार्मिंग नाम प्रचलित किया। जिसका उपयोग बादमे संयुक्त राज्य अमेरिका में जे. आय. रोडेल ने आर्गेनिक फार्मिंग और पद्धति को वहा के बागबानों में प्रचलित करने में किया।

What are Steps In Organic Farming? जैविक खेती के बुनियादी चरण और घटक कोनसे है ?

  • कृषिभूमि का पारंपरिक प्रबंधन से जैविक प्रबंधन रूपांतरण।
  • कृषिभूमि आसपास के सारे परिसर और आर्यावरण का मैनेजमेंट ताकि जैव विविधता और स्थिरता को बढ़ावा दिया जा सके।
  • फसल का नियमित रोटेशन, जैविक कचरा, जैविक खाद, जैविक उत्पादन सामग्री जैसे पोषक तत्वों के वैकल्पिक स्रोतों के उपयोग से फसल उत्पादन।
  • बेहतर मैनेजमेंट पद्धतियों, भौतिक और सांस्कृतिक साधनों और जैविक नियंत्रण प्रणाली द्वारा खरपतवारों और कीटों का मैनेजमेंट।
  • जैविक अवधारणा के साथ पशुधन और पालतू जानवरों का रखरखाव, पालनपोषण और उन्हें संपूर्ण प्रणाली का एक अभिन्न अंग बनाना।

What are Goals Of Organic Farming जैविक खेती की विशेषताएं क्या है ?

  • मिट्टी की दीर्घकालिक उत्पादन क्षमता की रक्षा हेतु खेती के आर्गेनिक पदार्थों के स्तर को बनाए रखना , मिट्टी की जैविक गतिविधि को प्रोत्साहित करना और सावधानीपूर्वक यांत्रिक हस्तक्षेप करना।
  • फसल के लिए उपयोगी पोषकतत्व नघूल सके ऐसे पोषक स्रोतों का उपयोग करके अप्रत्यक्ष रूप मिट्टी के सूक्ष्म जीवों की क्रिया द्वारा पौधे को उपलब्ध करना।
  • लेग्यूम्स (फलियां),फसल कटाई के बाद जैविक कचरे का रीसायकल करके, पशु खाद और जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण के प्रभावी उपयोग के माध्यम से बाहरी नाइट्रोजन निर्भरता को ख़तम करना।
  • खरपतवार और अन्य पौधे, रोग और कीट का नियंत्रण मुख्य रूप से फसल के नियमित रोटेशन, प्राकृतिक परभक्षियों, जैव विविधता, जैविक खाद, प्रतिरोधी वेरायटीज और सिमित जैविक और रासायनिक किटकनाशक के हस्तक्षेप के मदत से करना।
  • पशुओं की देखभाल पर पूरा ध्यान देना, पशु कल्याण के मुद्दे जैसे पोषण,आवास, स्वास्थ्य, प्रजनन और पालन-पोषण संबंधी आवश्यकताएं पूर्ति कराना।
  • व्यापक कृषि प्रणाली से पर्यावरण पर होने वाले प्रभाव पर सावधानीपूर्वक ध्यान और वन्यजीवों और प्राकृतिक आवासों का संरक्षण।

What are Benefits Of Organic Farming? जैविक खेती के क्या लाभ है?

  • आर्गेनिक पदार्थ सभी आवश्यक स्थूल और सूक्ष्म पौधों के पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है।
  • आर्गेनिक पदार्थ मिट्टी के भौतिक-रासायनिक और जैविक गुणों में सुधार करते हैं।
  • जैविक खेतीसे कृषि इकोसिस्टम  में सुधार आता है और पर्यावरणीय गिरावट रोकने में मदद मिलती है।
  • जैविक रूप से उगाई जाने वाली फसलें लोगों द्वारा पसंद की जाती हैं क्योंकि यह पारंपरिक की तुलना में अधिक पौष्टिक माना जाता है।
  • जैविक उत्पाद को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अधिक कीमत मिलती है।

How Organic Farming is Managed? जैविक खेती कैसे करते है ?

 Crop Diversity and Crop Rotation क्रॉप डाइवर्सिटी एंड क्रॉप रोटेशन

आर्गेनिक फार्मिंग मे फसल विविधता की पद्धति का इस्तेमाल होता है। यानि एक से अधिक फसल आपके पास उपलदब्ध जगह और समय के हिसाब से एक हि क्षेत्र में उगाई जाती है,जिसे Agroecology विज्ञानं की भाषा में Polyculture कहा जाता है। एक से अधिक फसल की पद्धति से जमीं में मौजूद विविध उपयोगी किट,सूक्ष्म जीवाणु और अन्य घटक को बढ़ावा देने में सहायता मिलती है। जिससे खेती और उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार होता है। विभिन्न फसल लेने से मिट्टी की पोषणतत्व मुख्यतः नाइट्रोजन के स्तर में वृद्धि होती है। एक ही फसल बार बार लेने से एक ही प्रकार के खाद और दवाई के इस्तेमाल से फसल की किट और बीमारी से लड़ने की शक्ति भी नष्ट हो जाती है Polyculture इस समस्या का समाधान है।

Soil Management सॉइल मैनेजमेंट

जैविक खेती प्राकृतिक तौर पर आर्गेनिक पदार्थ के विघटन पर अधिक निर्भर करती। विघटन प्रकिया होने के लिए विभिन्न तकनीकों जैसे हरी खाद और कम्पोस्टिंग का उपयोग जिया जाता है। ताकि जो भी पोषक तत्व पूर्व फसलों द्वारा मिट्टी से लिए गए है उनका पुनः संचारण किया जा सके। यह जैविक प्रक्रिया, माइक्रोऑर्गेनिज्म जैसे माइकोराइजा और एर्थवर्म के द्वारा चलाई जाती है, जो अपने जीवन चक्र के विकास के दौरान पौधों के लिए उपलब्ध पोषक तत्वों को छोड़ती है। जैविक खेती में खेती की उत्पादान क्षमता को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग करते हैं, जिसमें फसल का नियमित रोटेशन, कवर क्रोपिंग, कम जुताई, और कम्पोस्ट का उपयोग शामिल है। खेती में ऊर्जा खपत कम करने से, लागत की कमी के साथ ही प्रॉफिट भी बचता है। वातावरण में कम कार्बन उत्पन्न खोने से ग्रीनहाउस गैसों में भी कमी आती है जिससे जलवायु परिवर्तन को रोकने में मदत मिलती है।

 Weed Management वीड मैनेजमेंट

जैविक खेती में खरपतवार याने वीड को समाप्त करने के बजाय फसल प्रतिस्पर्धा और खरपते पर फाइटोटॉक्सिक प्रभाव को बढ़ाकर खरपते को दबाने को प्रोत्साहित किया जाता है। किसान ज्यादा तर पारम्पारिक पद्धती, अवजरो का इस्तेमाल करके या जैविक या रासायनिक पद्धती का इस्तेमाल से वीड मैनेज करते है। रासायनिक जहरीली वीड मैनेजमेन्ट चीजों का इस्तेमाल जैविक खेती में बिलकुल भी नहीं किया जाता। वीड के पैदावार को दबाने के लिए फसल प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया जाता है। जिसके लिए अन्य प्रतिस्पर्धी फसल के विकल्पों का चयन किया जाता है। फसल बोन की पद्धती जैसे उच्च घनत्व वाली खेती, फसल के बिच कम अंतर, और गर्म मिट्टी में देर से फसल बोने शामिल होते हैं ताकि फसल के अधिक जल्दी अंकुरण को प्रोत्साहित किया जा सके।

निष्कर्ष


आज बढाती जनसंख्या के साथ, हम किसान की जिम्मेदारी सिर्फ कृषि उत्पादन को स्थिर रखने की नहीं, बल्कि इसे एक सतत ढंग से आगे बढाने की है। वैज्ञानिकों ने अनुभव से जाना है कि उच्च इनपुट पर आधारित ‘हरित क्रांति’ एक स्तर तक पहुँच चुकी है और अब कृषि उत्पादन में कमी आ रही है। इसलिए, जीवन और संपत्ति के निरंतरता के लिए हमें सभी लागतों पर प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखना आवश्यक है। इस दौरान आर्गेनिक फार्मिंग विकल्प सबसे उपयुक्त है, जब कृषि रसायन, जो जीवाश्म और नॉन रिन्यूएबल संसाधनों से बनती है, उनकी उपलब्धता कम होते जा रहे हैं। इस नए दौर के कृषि प्रणाली का परिणाम सीधे तौर पर पर्यावरण पर देखने मिल रहा है। उज्वल भविष्य के लिए हमें Organic Farming को ज्यादा से ज्यादा अपनाने की आवश्यकता है।

Leave a Comment